शुक्रवार, 19 जून 2015

ज्ञान, प्रेम और आनंद

ज्ञान, प्रेम और आनंद हम जितना भी दूसरों को देंगे, उतना ही इनका विस्तार होगा तथा यह अपने व्यापक रुप में हमारे पास पुन: आयेंगे।  परिणाम स्वरूप समाज मै सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिसके कारण सामजिक परिवेश में वात्सल्य, समरसता, विश्वास, अनुशासन, संस्कार आदि का सतत् व निरंतर प्रवाह बना रहता है जो सभी के कल्याण में सहायक बनता हे।
सुप्रभात - आज का दिन शुभ व मंगलमय हो। 🙏🙏

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